हरक को पांचवें दिन भी नहीं मिली ठौर, कहा- आज तय करूंगा किस मोर्चे से लडुंगा चुनाव
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हरक को पांचवें दिन भी नहीं मिली ठौर, कहा- आज तय करूंगा किस मोर्चे से लडुंगा चुनाव

हरक को पांचवें दिन भी नहीं मिली ठौर

हरक को पांचवें दिन भी नहीं मिली ठौर, कहा- आज तय करूंगा किस मोर्चे से लडुंगा चुनाव

देहरादून। भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी का मामला लटका होने के कारण उनके सामने स्थिति असहज बनी हुई है। ऐसे में चर्चा है कि भाजपा उन्हें माफ कर फिर से पार्टी में ले सकती है। भाजपा द्वारा विधानसभा की केदारनाथ सीट का टिकट फिलहाल रिक्त छोड़े जाने को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

भाजपा हाईकमान ने रविवार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह को पार्टी से छह साल से निष्कासित कर दिया था। उन्हें मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया गया था। बताया गया कि हरक स्वयं के साथ ही परिवार के लिए विधानसभा के तीन टिकट मांग रहे थे। जिस दिन पार्टी ने यह निर्णय सुनाया, उस दिन हरक दिल्ली में ही थे। इसके बाद से हरक के कांग्रेस में घर वापसी की चर्चा होने लगी थी। हरक भी कांग्रेस के उन नौ विधायकों में शामिल थे, जो मार्च 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस का हाथ छिटककर भाजपा में शामिल हो गए थे।

यद्यपि, भाजपा से निष्कासित किए जाने के बाद ये तय माना जा रहा था कि वे कांग्रेस में वापसी करेंगे, लेकिन अभी तक इस दिशा में बात नहीं बन पाई है। वजह ये कि कांग्रेस के भीतर उन्हें लिए जाने को लेकर तमाम तरह के किंतु-परंतु हैं। ऐसे में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है।

दिल्ली में डेरा डाले हरक सिंह ने कांग्रेस के कसीदे तो गढ़े, लेकिन भाजपा के विरुद्ध कुछ नहीं बोला है। चर्चा है कि इस बीच उनकी दिल्ली में भाजपा के कुछ नेताओं से भी मुलाकात हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि हरक के पश्चाताप करने पर भाजपा उन्हें माफ कर सकती है। बहुत संभव है कि दो-चार दिन के भीतर उनकी फिर से भाजपा में वापसी हो जाए।

पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की वापसी के लिए दरवाजे नहीं खोले। शुक्रवार को भी हरक कांग्रेस में शामिल नहीं हो सके तो अंदेशा है कि पार्टी इस मामले में हाथ पीछे खींच सकती है। कर्मकार कल्याण बोर्ड में कथित अनियमितता का जिन्न हरक सिंह रावत की राह में अड़ंगा बनकर खड़ा हो गया है। पिछले कई महीनों से इस मुद्दे पर कांग्रेस हमलावर रही है, हरक की वापसी के साथ यह मुद्दा भाजपा के बजाय कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।